कुछ और बीत जाने दो इस रात को ज़रा,
राज़-ए-दिल बताने को कुछ और ख़ामोशी चाहिए।
राज़-ए-दिल बताने को कुछ और ख़ामोशी चाहिए।
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on Tuesday, May 25, 2010
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Izhar,
Two Liner Shayri
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